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भारत में सरसों का तेल कैसे निकाला जाता है?
देश के लगभग सभी घरों में सरसों के तेल का उपयोग होता है और इसकी मांग भी बहुत ज्यादा है। इसीलिए हमारे देश में सरसों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान आदि राज्य सरसों उत्पादन में सबसे आगे हैं। सरसों के खूबसूरत खेत हमने अक्सर फिल्मों में देखा होगा जहाँ हीरो-हिरोइन रोमांस करते नज़र आते हैं। सरसों के तेल की मांग को देखते हुए देश के किसान सरसों की खेती की तरफ़ ज्यादा ध्यान दे रहें हैं। क्योंकि ज्यादा मांग होने से मुनाफ़ा भी ज्यादा मिल रहा है।
सरसों के बीजों से सरसों का तेल निकाला जाता है। जो आकार में छोटे और रंग में सफ़ेद, काले, पीले और भूरे होते हैं।
– पीले या काले रंग के सरसों के दानों से तेल ज्यादा मात्रा में और अच्छी क्वालिटी का निकलता है। सरसों तेल में प्राकृतिक गुणवत्ता भी भरपूर मात्रा में पायी जाती है, इसीलिए इसके स्वास्थ्य लाभ भी अनेकों हैं।
भारत देश आयल सीड के उत्पादन में सबसे बड़ा देश है। इसीलिए देश में सरसों तेल निकालने के कई बड़े-बड़े मिल भी लगे हैं। गाँव और छोटे शहरों में छोटी मशीनों या कोल्हू के बैल द्वारा बीजों से सरसों का तेल निकाला जाता।
1- कोल्हू के बैल द्वारा सरसों तेल निकालना
भारत में वर्षों पहले कोल्हू के बैल द्वारा सरसों का तेल निकाला जाता था। अभी भी कुछ गाँवों में इसी विधि से सरसों का तेल निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में बैल की आँखों पर पट्टी बाँध के एक चक्की जिसे कोल्हू कहते हैं, के चारों तरफ गोल आकार में घुमाया जाता है और थोड़ा-थोड़ा करके सरसों के बीजों को कोल्हू में डाला जाता है।
इस विधि को थोड़ा और आसान तरीके से समझाने के लिए आपको एक उदाहरण समझाता हूँ। जैसे कपड़े से पानी निचोड़ने के लिए विपरीत दिशा में धुमाते हैं वैसे ही कोल्हू जिस दिशा में घूमता है मोटी लकड़ी उसके विपरीत धूमती है। सारा तेल कोल्हू में नीचे एकत्रित हो जाता है जिसे बाद में किसी बर्तन या उसमें लगी टोटी की सहायता से निकाला जाता है। यह तेल सबसे शुद्ध कच्ची घानी सरसों तेल (कोल्ड प्रेस्ड मस्टर्ड ऑयल) है। हालांकि इस विधि से तेल निकालने में समय और मेहनत दोनों बहुत लगते हैं। लेकिन इसकी लागत कम है।
कच्ची घानी और पक्की घानी में क्या अंतर है?
35 डिग्री सेल्सिअस से कम तापमान पर सरसों के बीजों से निकलने वाले तेल को कच्ची घानी सरसों का तेल या कोल्ड प्रेस्ड मस्टर्ड ऑयल कहते हैं। कच्ची घानी सरसों तेल में सबसे ज्यादा प्राकृतिक गुण पाए जाते हैं। इससे कहीं ज्यादा तापमान पर सरसों के बीजों से निकलने वाले तेल को पक्की घानी कहते हैं। उच्च तापमान की वजह से पक्की घानी में प्राकृतिक गुण बहुत कम पाए जाते हैं। बाज़ार में कच्ची घानी और पक्की घानी सरसों आयल प्राइस भिन्न-भिन्न हैं।
2- अत्याधुनिक मशीनों से सरसों तेल निकालना
बढ़ते समय के साथ-साथ सरसों तेल की मांग बढ़ने लगी। जिसकी आपूर्ति के लिए देश में बड़े-बड़े सरसों तेल के मिल लगाये गए। जिनमें बाहर के देशों में बनी मशीन लगी और इनकी प्रतिदिन उत्पादन क्षमता बहुत अधिक होती है। तो वहीं तेल निकालने के लिए गाँवों और छोटे शहरो में स्पेलर मशीन लगी, जिनकी क्षमता 13 किलो से लेकर 50 किलो तक होती है। यह क्षमता कंपनियों और आपकी ज़रुरत पर निर्भर है। और इन मशीनों में सरसों से लेकर नारियल, सूरजमुखी, सोयाबीन, मूंगफली और अन्य बीजों की पिराई कर उसका तेल निकाला जा सकता है। मशीनीकरण ने धीरे-धीरे कोल्हू के बैल की जगह ले ली। क्योंकि यह प्रक्रिया तेज़ भी है और आसान भी। लेकिन इसमें लागत अधिक है।
बैल कोल्हू कच्ची घानी सरसों का तेल
जैसा कि आपने जाना कच्ची घानी में सबसे ज्यादा प्राकृतिक गुण पाए जाते हैं। देश का पसंदीदा ब्रांड - बैल कोल्हू, वर्षों से प्राकृतिक गुणों से भरपूर कच्ची घानी तेल आपकी रसोई तक पहुंचा कर आपको सेहतमंद बना रहा है। जिसकी खुशबू से आपकी यादों का कोना-कोना महकता है। आज के समय में बैल कोल्हू देश के लाखों घरों में स्वाद, सेहत, शुद्धता और खुशबू की पहचान है और करोड़ों देशवासियों की पहली पसंद बन गया है।
कैसे बनता है बैल कोल्हू एक लेज़ेंड?
बैल कोल्हू कच्ची घानी सरसों का तेल बनाने के लिए चुनिंदा किसानों से बीज और चुनिंदा जगहों से कच्छा तेल लिया जाता है। फिर अत्याधुनिक प्लांट में लगे 5 माइक्रोन फिल्टरेशन सिस्टम में इसे छाना जाता है और इसकी गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर तैयार लैब में परखा जाता है। हर बोतल में बेस्ट क्वालिटी को सुनिश्चित किया जाता है। क्वालिटी में सतत निरंतरता ही इसकी पहचान है। तभी तो बैल कोल्हू कच्ची घानी कोई साधारण ब्रांड नहीं, बल्कि एक लेजेंडरी ब्रांड है।